Monday, February 9, 2009

अपराध !!!

Earlier, in my engineering days, I used to write poems in Hindi. But all those habits withered away with time. After a long gap, I have tried to write a poem. I know its bit kiddish, but hopefully you all will appreciate the effort.

एक इंसान को खुदा बुलाने की, हिमाकत कर बैठा हूँ !
इन समझदारों की दुनिया में, मैं एक अपराध कर बैठा हूँ !!

दुनिया कहती है, इंसान को इंसान रहने दो !
इंसान परेशान हैं, उसे परेशान रहने दो !!
किसी को ज़िन्दगी भर खुश रखने का, लिए अरमान बैठा हूँ !
इन समझदारों की दुनिया में, मैं एक अपराध कर बैठा हूँ !!

जहाँ एक इंसान का दर्द, दूसरे के लिए मज़ा हैं !
बेड़ियों में जकड़ा है, मिली मुझे ये कठोर सज़ा हैं !!
बस अब तो खुदा के इंतज़ार में, बेताब बैठा हूँ !
इन समझदारों की दुनिया में, मैं एक अपराध कर बैठा हूँ !!

2 comments:

Neha Singh said...
This comment has been removed by the author.
Neha Singh said...

wow...ts awesome..didnt knw u write so well.. hats off 2 u... good goin... keep d spirit high.........